EV बिक्री का स्कूप: भारत में इलेक्ट्रिक कारें क्यों बूम कर रही हैं?
2024 में भारत ने 2 लाख से भी ज्यादा इलेक्ट्रिक कारें बेचीं, और ये आँकड़ा पिछले साल से 70 % ज्यादा है। अगर आप सोचते हैं कि सिर्फ हाई‑एंड मॉडलों की वजह से यह बढ़ा, तो गलत हैं – अब मिड‑सेगमेंट में भी बड़े‑बड़े ब्रांड एंट्री कर रहे हैं। इस लेख में हम देखेंगे कि ये तेज़ी से बढ़ती बिक्री के पीछे कौन‑कौन से कारण हैं और आने वाले सालों में क्या बदल सकता है।
भारत में EV बिक्री का वर्तमान परिदृश्य
पहला कारण है सरकार का समर्थन। केंद्रीय और राज्य‑स्तर पर मिलने वाले रजिस्ट्रेशन रिबेट, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश और GST में कमी ने खरीदारों को मोटी छूट दी है। दूसरा, बैटरियों की लागत लगातार गिर रही है – 2020 में 10 % के आसपास थी, अब 5 % से भी नीचे आई है। इससे कार की एक‑एक कीमत घटती जा रही है।
तीसरा, शहरों में ट्रैफ़िक जाम और पेट्रोल‑डिज़ल की बढ़ती कीमतें लोगों को पर्यावरण‑फ्रेंडली विकल्पों की ओर धकेल रही हैं। कई मेट्रो शहरों में अब इलेक्ट्रिक टैक्सि और राईड‑शेयरिंग सेवाएं भी आम हो गई हैं। परिणामस्वरूप यूज़र्स सिर्फ खरीद नहीं करते, बल्कि दैनिक कम्यूट में भी EV को अपनाते हैं।
बाजार में टेस्ला के अलावा टाटा, महिंद्रा, महिंद्रा‑ई‑कोर, रिलायंस की जेटसिटी, और फोकस‑ऑन‑बजट मॉडल जैसे रिवॉल्ट और निको अब गहराई से प्रवेश कर रहे हैं। कई ब्रांड ने सिंगल‑लीटर माइलेज को 300 किमी से 500 किमी तक बढ़ा दिया है, जो यूज़र को चार्जिंग की डर से मुक्त करता है।
भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां
आगे देखिए तो चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार सबसे बड़ी चुनौती बनता दिख रहा है। अभी भी 30 % बड़े शहरों में पर्याप्त फास्ट चार्जर नहीं हैं, जिससे लंबी दूरी की यात्रा में झंझट रहता है। लेकिन निजी कंपनियों और पेट्रोल पम्प के मालिकों को हम कर रहे प्रोत्साहन जल्द ही इस गैप को भर देंगे।
दूसरा मुद्दा है रीसाइक्लिंग। बैटरी के दो साल बाद उनका पुनः उपयोग या रीसाइक्लिंग होना जरूरी है, नहीं तो पर्यावरण पर बुरा असर पड़ेगा। सरकार ने इस दिशा में नई पॉलिसी निकाली है, लेकिन अभी तक व्यावहारिक कदम कम दिखते हैं।
साथ ही, टैक्टिकल प्राइसिंग भी एक मौका है। यदि ब्रांड फ्यूल‑इफिशिएंट पेट्रोल मॉडल की तुलना में 5‑10 % कम कीमत पर EV पेश कर सके, तो मिड‑सेगमेंट में बिक्री दोगुनी हो सकती है। इस कारण कई कंपनियां स्थानीय उत्पादन यूनिट खोल रही हैं, जिससे लोजिस्टिक कॉस्ट घटेगा।
अंत में, यूज़र फ्रेंडली फीचर्स जैसे फास्ट चार्जिंग के साथ रीयल‑टाइम बैटरी मॉनिटरिंग, रिवर्स चार्जिंग (गाड़ी से लाइट या छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चार्ज करना) भी खरीदारों को आकर्षित कर रहे हैं। अगर आप भी EV खरीदने की सोच रहे हैं, तो इन फीचर्स को अपना चेकलिस्ट में शामिल कर लें।
संक्षेप में, भारत में EV बिक्री सिर्फ एक ट्रेंड नहीं, बल्कि एक बदलाव है जो आने वाले कुछ सालों में और तेज़ी से बढ़ेगा। कीमतें घटेंगी, चार्जिंग आसान होगी, और पर्यावरण को भी थोड़ा राहत मिलेगी। तो आप कब तैयार हैं अपनी ड्राइव को इलेक्ट्रिक बनाकर आगे बढ़ने के लिए?