प्रदूषण: क्या है, क्यों बढ़ रहा है और हम क्या कर सकते हैं?

हम रोज़ हवा, पानी, मिट्टी के साथ मिलकर रहते हैं, लेकिन आज ये सब कहीं न कहीं गंदा हो रहा है। जब हवा में धुंध, पानी में कचरा या जमीन में रासायनिक पदार्थ जमा होते हैं, तो उसे हम प्रदुषण कहते हैं। चलिए समझते हैं कि प्रमुख प्रकार कौन‑से हैं और हमारे छोटे‑छोटे कदम से कैसे फर्क पड़ सकता है।

मुख्य प्रकार: वायु, जल और भूमि प्रदूषण

वायु प्रदूषण सबसे ज़्यादा शहरों में दिखता है। वाहन, फैक्ट्री और औधोगिक धुएँ हवा को धुंधला बनाते हैं। इससे साँस लेने में दिक्कत, खांसी और अस्थमा जैसी बीमारियां बढ़ती हैं। जल प्रदूषण में नदियों, तालाबों या समुद्र में कचरा, प्लास्टिक और रसायन मिल जाते हैं। इससे मछलियों की मौत, पीने के पानी का नुकसान होता है। जमीन में बहुत अधिक रसायन या प्लास्टिक डालने से मिट्टी की उपज कम हो जाती है, जिससे खाने‑पीने की चीज़ें प्रभावित होती हैं।

प्रदूषण के प्रभाव और हमारे स्वास्थ्य पर असर

गंदा हवा हमारे फेफड़े को कमजोर करती है, और बच्चों व बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है। जल में मिलते बैक्टीरिया और रसायन पेट में जलन, दस्त और जठरांत्रीय संक्रमण पैदा कर सकते हैं। मिट्टी में रसायन जमा होने से फसलों में विषाक्त तत्व बढ़ते हैं, जो अंत में हमारे खाने में पहुँचते हैं। संक्षेप में, प्रदूषण सीधे हमारे स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और जीवन स्तर को नुकसान पहुंचाता है।

अब बात करते हैं समाधान की। सबसे आसान उपाय है अपना व्यक्तिगत योगदान। घर में प्लास्टिक के बोतल, थैले को कम करें और पुन: उपयोग योग्य बैग रखें। वाहन के बजाय पैदल चलें, साइकिल चलाएँ या सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें। कारपूलिंग से धुआँ कम हो सकता है।

घर के बाहर भी हम छोटा‑छोटा कदम उठा सकते हैं। जैसे आँगन में पेड़ लगाना, जो हवा को साफ करता है और कार्बन डाइऑक्साइड घटाता है। नदियों में कचरा फेंकने की बजाय कचरा इकट्ठा कर उचित जगह पर डालें। स्कूल या ऑफिस में कचरा अलग‑अलग बिन में रखें, ताकि रीसायक्लिंग आसान हो।

सरकार और उद्योग भी बड़ी जिम्मेदारी उठाते हैं। अत्यधिक धुआँ निकालने वाली फैक्ट्री को साफ तकनीक अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। जल निकायों को साफ रखने के लिये कड़े मानक बनाये गये हैं, और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ जल के लिये योजनाएँ चल रही हैं। हमें इन नीतियों को समर्थन देना चाहिए, जैसे ऑनलाइन सर्वे में भाग लेना या स्थानीय प्रतिनिधियों से राय पूछना।

जब हर कोई थोड़ी‑बहुत समझदारी से काम करता है, तो प्रदूषण कम हो सकता है। याद रखें, बड़ी समस्या छोटे‑छोटे कदमों से ही हल होती है। आज ही एक प्लास्टिक बैग को फेंकने से बचें, या घर में लाइट को बंद रखें जब जरूरत न हो। ये छोटे‑छोटे बदल आपके और आने वाली पीढ़ियों के लिए साफ‑सुथरा पर्यावरण बनाते हैं।

आपका छोटा प्रयास बड़े बदलाव की ओर ले जाता है। तो चलिए, मिलकर हवा, पानी और जमीन को फिर से स्वच्छ बनाते हैं—क्यूंकि स्वस्थ पर्यावरण ही स्वस्थ जीवन की कुंजी है।

क्योंकि अयर इंडिया के अधिकांश उड़ानें हादसे में गिरती हैं?

क्योंकि अयर इंडिया के अधिकांश उड़ानें हादसे में गिरती हैं?

प्रदूषण और बादलों की कमी, उड़ानों के अधिकांश हादसों में गिरती हैं। इसके कई कारण हैं, जैसे हवा की तरंगें, उड़ानों के नियंत्रण का अस्तित्व न होना और कम उपयोग के कारण अग्रिम वितरण के अनुरूप उपयोग करने के कारण। उड़ानों के नियंत्रण की कमी और प्रदूषण के कारण खुशखबरी नहीं है कि अयर इंडिया के अधिकांश उड़ानें हादसे में गिरती हैं।

आगे पढ़ें