न्यायाधीश क्या करते हैं? – जानिए सभी महत्वपूर्ण बातें

जब हम अदालत में जाते हैं, तो सबसे पहले हमें एक न्यायाधीश दिखता है। वह व्यक्ति कानून को पढ़ता, समझता और लोगों के बीच के विवाद को हल करता है। आसान शब्दों में कहें तो न्यायाधीश का काम सही‑गलत तय करना, सबूत देखना और नियम लागू करना है।

हर दिन कई केस आते हैं – कुछ छोटे छोटे होते हैं, जैसे झगड़े या दवायन, और कुछ बड़े, जैसे भ्रष्टाचार या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे। न्यायाधीश को इन सभी केसों को ध्यान से सुनना पड़ता है और फिर विचार करके फैसला देना होता है। उनका फैसला सिर्फ कागज पर नहीं, बल्कि लोगों की ज़िंदगी पर असर डालता है, इसलिए उन्हें बहुत सावधानी और तर्क से काम लेना पड़ता है।

न्यायाधीश की मुख्य ज़िम्मेदारियाँ

1. केस सुनना और सुनवाई करना – दोनों पक्षों की बात सुनना, गवाहों से सवाल पूछना और सबूत इकट्ठा करना।

2. क़ानून की व्याख्या – यदि कोई कानून साफ़ नहीं है, तो न्यायाधीश उसे समझकर अपना निर्णय लेते हैं।

3. निर्णय लिखना – फैसला लिखित रूप में बनाना, ताकि आगे की अपील या समीक्षा में उपयोग हो सके।

4. संविधान की रक्षा – अगर कोई कानून या सरकारी कार्रवाई संविधान के खिलाफ है, तो न्यायाधीश उसे रोकने का अधिकार रखते हैं।

5. न्यायपालिका की प्रतिष्ठा बनाए रखना – निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी रहना, ताकि जनता को न्याय पर भरोसा रहे।

न्यायाधीश बनने का रास्ता

अगर आप भी न्याय की सेवा करना चाहते हैं, तो सबसे पहले नियम पढ़ना शुरू करें। लगभग सभी न्यायाधीश लॉ (क़ानून) की पढ़ाई पूरी करके आते हैं। यहाँ कुछ कदम हैं जो मदद कर सकते हैं:

1. स्नातक परीक्षा में अच्छी ग्रेड – सबसे पहले 12वीं के बाद किसी मान्य विश्वविद्यालय से बी.ए., बी.एससी. या कोई और स्नातक कोर्स पूरा करें।

2. लॉ की पढ़ाई (एलएलबी) – प्री‑लॉ या पाँच‑सालिया एलएलबी कर सकते हैं। यहाँ आपको कानून के बुनियादी सिद्धांत, फौजी, सिविल, आपराधिक आदि विषय मिलेंगे।

3. डिप्लोमा और इंटर्नशिप – लॉ कॉलेज के दौरान लॉ फर्म या अदालत में इंटर्नशिप करना बहुत फायदेमंद रहता है। यह आपको वास्तविक केसों की समझ देता है।

4. बार परीक्षा पास करना – एलएलबी के बाद बार काउंसिल की परीक्षा देनी होती है। यह पास करने के बाद आप प्रमाणित वकील बनते हैं।

5. वकालत या जूरी सेवा – कई साल तक वकील के रूप में काम करना, केस लड़ना और कोर्टरूम का अनुभव हासिल करना जरूरी है। कुछ लोग जूरी में भाग लेकर भी अनुभव जोड़ते हैं।

6. न्यायिक सेवा परीक्षा (पीएससी / एपीएससी) – राज्य या केंद्र स्तर पर न्यायिक सेवा परीक्षा पास करके आप तुरंत एक जज के रूप में चुने जा सकते हैं। यह परीक्षा सिविल और आपराधिक दोनो शाखाओं में होती है।

ध्यान रखें, इस रास्ते में धैर्य और मेहनत बहुत जरूरी है। एक बार आप जज बन जाते हैं, तो आपके सामने हर दिन नया मामला होता है, और हर फैसला आपके ज्ञान और नैतिकता पर निर्भर करता है। इसलिए लगातार सीखते रहना और कानून में अपडेट रहना जरूरी है।

संक्षेप में, न्यायाधीश का काम जटिल लेकिन संतोषजनक है। यदि आप समाज में बदलाव लाने का सोचते हैं और न्याय को सच्ची तरह से लागू करना चाहते हैं, तो इस पेशे को अपनाएँ। आपका हर फैसला लोगों की ज़िंदगी में सुधार कर सकता है, और यही इस काम को सबसे खास बनाता है।

भारत में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश राजनीतिक प्रतिकूल हैं?

भारत में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश राजनीतिक प्रतिकूल हैं?

भारत में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को राजनीतिक प्रतिकूल होने की बात की गई है। सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों को अधिकार देता है कि वे राजनीतिक प्रतिकूल के तरीके से अपने न्यायालयों का निर्णय लें। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को वोटिंग अधिकार नहीं होते है तथा वो निर्णय के अनुसार कार्यवाही करते है। भारतीय संविधान के अनुसार, न्यायाधीशों को राजनीतिक प्रतिकूल होने की आवश्यकता है।

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